Sunday, 2 August 2009

मनः स्थिति!!

आज दिल कुछ लिखने को कह रहा है....
बैठ गए हम अपने लैपटॉप के सामने...
क्या लिखे??
अपने गम!
अपनी खुशिया!
कुछ यादे!!
या फिर जिन्दगी के कुछ रोचक प्रसंघ!!
या फिर क्षणिक मनः स्थिति बयाँ करे ....
हाँ येही सही रहेगा.
सो सुनिए..
अरे सो मत जाइये,
सिर्फ सुनिए,
आज फूट-फूट कर रोने की इक्षा हो रही है..
विचारों में खोएं हैं...
कभी अम्मा की याद आती है.
कभी नेहू...
कभी पापा की शक्ल...
तो कभी लगता है श्रेया दिखाई पड़ रही हो...
बस आस है एक कंधे की,
जिसपे सर रख कर मै रो सकू...
और एक थप थपी की
जो दिलांसा दे...
की रोते नहीं है...
मैं हूँ ना!!

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